अभी हुं तो कर ले मशवरा किसी बात को लेकर फिर बड़ा पश्ताओगे अधूरी छूटी मुलाकात को लेकर मेरे चेहरे पे मत जा मेरे लहज़े में है देर तक चुप रेहना अब जरा मेरी खामोशी को ही आज़मा लो तुम किसी सवालात को लेकर और मुझको पसंद है मुझपे ही अंगुली करने वालें लोग सखी बेशक तुम जब भी आओ तो आना कोई मशहला-ऐ-बगावत को लेकर