'एक और सपना'
4 दिन हुए,
रोज़ सुबह एक सपना आता है,
अनजाने ही जो नींद से जगाता है।
मैं सोता हूँ निढाल सा 'lockdown' में,
जागने से पहले 'क्यों', तुझसे मिलाता है?
ये आँखे भी बस चाहती हैं, फिर न खुलें,
एक ही ज़रिया 'तो',तुझे मेरे पास लाता है।
तेरे 'जाने' से ये 'न आने' तक का सफ़र,
इश्क़ मज़बूत है, बस एहसास दिलाता है।।
चल सोते हैं तन्हा उदयपुर में।।।
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