उड़ने दो इन परिंदो को
पूरा आसमान बाकी है।
शुरू किया है सफर जिंदगी का
अभी तो असली इम्तहान बाकी है।
वक्त के साथ बदलता ये आसमान भी
रोज नए करतब दिखलाता है ।
परिंदो के बढ़ते पग को
यू ही डगमगाता है।
इन परिंदो के हौसलें भी
पर्वतो से कम नही हैं।
असफलतायों के अथाह सागर में भी
इन्हें किसी का गम नही है।
छोड़ दो इन्हें यू ही
सुनहरे पन्नों में दर्ज होना बाकी है ।
उड़ने दो ....
शुरू किया है सफर .......
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