पुरूष के समान ह्रदय रखने वाली
एक स्त्री की कलम से....,
कभी मर्द को रोते हुए देखा है
बेचैन होकर मां की गोद में सोते हुए देखा है,
तुम कहते हो मर्द को दर्द नहीं होता
कभी उसे नींद में बेचैन होते देखा है,
पहली नौकरी, पहला प्यार, पहली संतान पे
उसे बेपरवाह खुश होते हुए देखा है,
खैर मैं औरत हूं "मर्दों की बातें" नहीं समझती
पर हां.... मैंने मर्दों को औरत होते देखा है।
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