खुदा ये जो तेरा गुरूर है,
मजबूर को सब मंज़ूर है
फासला कदम भर का है कहता,
और दिखाता मंज़िल दूर है
तिजोरी में रखा खत बताता है,
कहीं मेरा भी कोई ज़रूर है
क्या छीनेगा और मुझसे तू बता,
बची रुसवाई है जो भरपूर है
अब मेरा अक्स भी नहीं है साथ मेरे,
पर जहां भी है वहाँ नूर है
उस गली से ना गुज़र मेरे दोस्त,
वहाँ एक हादसा बड़ा मशहूर है
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