चलो आज ये वादा करते हैं,,,,
खुल के जीने का इरादा करते हैं।
जैसे पतझड़ में कभी फूल नहीं खिलता है,,,,
वैसे ही मनुष्य जीवन हर किसी को नहीं मिलता है।
सभी अपने हैं यहां ये बात तुम जान लो,,,,
अब अपनी अलग एक पहचान बनानी है यह मन में ठान लो।
अभी जो है हमारे पास उसी में हमें खुश रहना है,,,,
फिर तो एक दिन राख बन के नदियों में ही बहना है।
ये ज़ालिम जमाना है,,,
और यहां हमें अपना नाम कमाना है।
“मिट जाने से पहले"।।
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