सचाई की नीव पे टिके होते है रिश्ते
बिना सचाईं के कभी कोई रिश्ते जोड़ने की कोशिश करना नही
क्योंकि सचाई छिपाए नही छिपती
रिश्तों में बाद में कड़वाहट आने से अच्छा ही की हम उसे सच्चे और अच्छे मन से सुरु करे
रहिमन जी ने कहा हे ना
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
(प्रेम का धागा बहूत कमजोर होता हे, एक बार टूट जायेगा तो जुड़ने में गाठ तो आनी ही है।)
और कबीर जी ने भी कहा हे ना
साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥
(सच्चाई के बराबर कोई तपस्या नहीं है, झूठ के बराबर कोई पाप कर्म नहीं है। जिसके हृदय में सच्चाई है उसी के हृदय में भगवान निवास करते हैं।)
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