वो जो हल्के से सतह पर रोम रोम से होकर गुज़रे और गुदगुदी से बढ़कर बेचैनी बन जाये सनसनी सी एक लहर दौड़ जाए तो बस आहिस्ते से वहीं ठहर जाना रोक लेना अपने हाथ वहीं के वहीं कोई ज़ोर नहीं कोई जल्दबाज़ी नहीं अभी भी वक़्त साथ है क्योंकि अभी तक उसने काटा नहीं बस राह भटका है शायद उसे भी ख़ौफ़ज़दा कर रही होगी हर रोएँ की हरकत बस एक चींटी है ज़नाब थोड़ा रहम भेंट कर दीजिए हल्के हाथों से उठाकर उसे रास्ता न सही उसकी ज़मीन दिखा दीजिये उसने भी अबतक अपनी नज़ाकत ही दिखाई है आप भी ज़रा शराफ़त दिखा दीजिये
I rushed to my sister's house as soon as I received her frantic call. But when I reached, I found her husband standing over her limp body, knife in hand.
“Did we do it?” I asked. He nodded and pulled me in for a kiss.