शहर का शोर अब अच्छा नहीं लगता
यहां पर कोई भी सच्चा नहीं लगता,
प्रदूषित हवा में यहां हर कोई सोता
वृक्षारोपण साल में सिर्फ नाम का होता,
यहां नदियां हर जगह बेहाल हैं
सब सीवर लाईन का कमाल हैं,
देखने को हर जगह बस धुंध है
बड़े बड़े कारखानों का झुंड है,
यहां कहने को सब मस्त हैं
पर अंदर से सब पस्त हैं,
नहीं रहना अब इस शहर में
खुली हवा के इस ज़हर में,
इससे प्यारी अपने गांव की वादियां
ताज़ी हवा, हरे भरे पेड़, प्यारी सड़कें और वो नदियां.....
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