धीरे-धीरे वक्त भी गुज़र जाएगा
दिल-दिमाग से तेरा फितूर भी उतर जाएगा,
ज़िम्मेदारी तले ज़िम्मेदार भी हो जाएंगे
दुनिया की भाग दौड़ में कहीं खो से जाएंगे..
उम्र ,सूरत और हालात भी बदल जाएंगे
वक्त कब कैसे गुज़रा कुछ समझ ना पाएंगे,
तब जवानी के वो दिन भी याद आएंगे
"काश थोड़ा पढ़ लिए होते" यूँ कोस-कोस पछताएंगे..
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