मत कर भंग श्मशान की शांति को
वरना एक भयंकर तूफ़ान आएगा - २
ऐ इंसान! संभल जा अभी भी थोड़ा वक़्त बचा है -२
वरना प्रलय मचेगा जब श्मशान ख़ुद तेरे घर तक चल कर आएगा,
शिव जी के तांडव औऱ क्रोध से फ़िर तुझें कौन बचाएगा -२
मत भंग कर श्मशान के शांति को वरना तू बहुत पछताएगा,
इतनी बड़ी सज़ा मिली है फ़िर भी तू संभला ही नहीं -२
मक्कारी, जालसाज़ी, ग़लत काम छोड़ कर तू बदला ही नहीं,
तक़लीफ़ में देख इंसा को क्यों इंसा पिघला ही नहीं,
क़भी बेमौत को मौत क़भी किडनी चोरी करने में लगा है,
इतनी घातक बीमारी फ़ैली है औऱ तू भगवान का दूजा रूप कहें जाने वाले "डॉक्टर्स"
क्यों फ़िर भी तू संभला ही नहीं वक़्त अभी भी बाक़ी है औऱ तू है की बदला ही नहीं,
ऐ इंसान! ईमानदारी से ज़िन्दगी गुज़र बसर कर,
औऱ किसी को दुःख में देख हँस मत उनका ग़म बाँट ले,
औऱ ज़िन्दगी खुशियाँ बांट कर जी ले औऱ सँभल जा वक़्त अभी भी बाक़ी है,
औऱ मत कर भंग श्मशान की शांति को
वरना एक भयंकर तूफ़ान आएगा
औऱ तुझे जड़ से उखाड़ फ़ेकेगा,
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