ए हमसफर! एक बात बताओ,
क्या तुम जिंदगी के हर सफर मे मेरे हमदर्द बन पाओगे,
क्या मेरी देखे हुए ख्वाब पूरे कर पाओगे?
मै हु ऊपर से थोड़ी कठोर,पर अंदर से नर्म
थोड़ी सी जिद्दी,थोड़ी सी गर्म
क्या मेरे इस व्यवहार को तुम झेल पाओगे?
ये नादान दिल हर रोज ख्वाब देखता है,
क्या तुम इन्हे सच कर पाओगे?
इन आँखों से छोटी सी बात पे ही आंसु आजाते है,
क्या तुम इन आसुओ की बूंदो को समझ पाओगे?
दिल की बातो का जुबाँ पे आने से पहले
तुम अपने जहन मे ला पाओगे?
क्या मेरी नादान गलतियों को
तुम हसकर टाल पाओगे?
ए हमसफर!
क्या तुम जिंदगी के आख़री सांस तक मेरा साथ निभा पाओगे?
जिंदगी के हर सफर मे मेरे हमदर्द बन पाओगे?
-