वे जिंदगी की,"हकीकत" से,"बखूबी वाकिफ" होते हैं,
"ख्वाबों" में ना जीकर वे,"असल" जीवन को जीते है।
"किस्मत" से ज्यादा खुद पर,"भरोसा" करते हैं,
"मंजिल" को हकीक़त में अपनी,
वे "यक़ीनन मुकम्मल" करते हैं।
ख्वाब ही ख्वाब की,"तलक" से दूर,
अपनी,"क्षमताओं" से खुद के एक अलग ही,
"अंदाज" के साथ जिंदगी को,"दिलो-दिमाग" से,
अपने अनुसार जीने की,"जुर्रत" करते हैं।🌻
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