Satvik Sharma 29 JAN 2018 AT 23:51 वो कहा करती थी ,मज़हब कभी बीच नहीं आएगा हमारे !( पूरा लेखन अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 । ) - Satvik Sharma 10 MAR 2018 AT 9:38 इस ज़िंदगी की दौड़ में सब रिश्ते बिखर गए ,कुछ घर से दूर ,कुछ अपनों से दूर निकल गए ,मैं ठहरा ही था राह में ,इक साथी की तलाश में ,मुझसे जीतने की होड़ में ,सब आगे निकल गए ! - Satvik Sharma 14 MAR 2018 AT 23:00 चलती जो दिल में उसके वो बगावत पूछती है ,वो मुझ रात से चाँदनी की चाहत पूछती है !(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें 👇!) - Satvik Sharma 28 JAN 2018 AT 19:24 मैं लेखक था , मैं शब्द लिखता था ,खुश था अकेले , मैं हर वक़्त लिखता था ,फिर हुआ कुछ यूँ कि मैंने मोहब्बत कर ली ।अब मैं जज़्बात लिखता हूँ ! - Satvik Sharma 28 JAN 2018 AT 0:23 ये मेरे इश्क़ का कमाल है ,या तेरे ख़ुदा का करिश्मा ,लोग कहते हैं कि तुम्हारी कब्र से खुशबू बहुत आती है ! - Satvik Sharma 1 JUN 2018 AT 18:54 सरहद पे चले तूफानों से वतनपरस्ती खाक नहीं हो जाती ,केवल नाम 'पाक' रख लेने से जगाहें 'पाक' नहीं हो जाती ! - Satvik Sharma 25 JAN 2018 AT 22:33 मैं गया दूर सूर्य तक , मैंने चिरागों को भी आज़माया ,पर सुकून वाले उस ताप को सिर्फ माँ की गोद में पाया ! - Satvik Sharma 12 FEB 2018 AT 13:07 हुआ था जो इक दिन उसे वजूद-ऐ-मोहब्बत पर शक ,वो गया और माँ की गोद में सो गया ! - Satvik Sharma 24 JAN 2018 AT 23:39 भूला नहीं हूँ मैं आज भी तुम्हे,बारे में तुम्हारे हर बार लिखता हूँ ,बस लफ्ज़ बदल दिया मैंने तुम्हारे ज़िक्र के लिए ,अब मैं तुम्हे गुज़रा 'वक़्त' लिखता हूँ !(पूरा लेखन अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 ! ) - Satvik Sharma 12 FEB 2018 AT 17:53 कर वादे पूरी ज़िंदगी केे, मुझे कुछ दिन में ही छोड़ चली ,दशकों सी वो सनम मेरी, आज 'फरवरी' हो चली ! -