कुछ घर रहकर परेशान हैं
कुछ घर से दूर रहकर,
कहीं अनेक व्यन्जन बन रहे हैं,
कहीं मासूम भूखे ही सो रहे हैं।
कोई सब्र कर रहा हैं,
कोई बेसब्र ही चल पड़ा हैं।
दूरियाँ जरूरी हो गई हैं,
नजदीकियाँ जान ले रही हैं।
सड़कें खाली हैं,
फिर भी अस्पताल भर रहें हैं।
देश बंद हैं विदेश बंद हैं,
बड़ा ही कठिन ये क्षण हैं।
पर हमें गर्व हैं,
हमारे योध्दा अभी भी रण में हैं।
वक्त संयम खोने का नहीं हैं,
ये तो धीरज धरने का समय हैं।
हाँ थोड़ा मुश्किल हैं,
पर जीवन अनमोल हैं।
बाहर मौत खड़ी हैं,
इस वक्त घर ही सबसे सूरक्षित हैं।
-