आज फिर बारिश का मौसम आया है,
फिर से नये अरमान लाया है,
एक नये जज्बात लाया है,
और ये जज्बात तेरी याद भी ले आया है।
आज फिर बारिश का मौसम आया है,
उफ ये क्या कहर लाया है ,
कहीं आग बुझी तो कहीं बाढ़ लाया है,
फिर से भिगाने आया है,
पानी की बूंदे लाया है।
आज फिर बारिश का मौसम आया है,
तू नहीं इस बार तेरी याद ले आया है,
यादों में तेरी एक एक बात भी लाया है,
ये बारिश का मौसम भी कितने जख्म ले आया है।
आज फिर बारिश का मौसम आया है,
सुनो ••••तुम्हें भी कुछ याद दिलाया है,
या..भीग कर तुमने सब कुछ भुलाया हैं,
एक भीनी सी खुश्बू ने तुम्हें भी जगाया है,
या...एक मौसम समझ कर सब कुछ भूलाया है।
देखो... आज फिर बारिश का मौसम आया है,
क्या गर्जनो ने तुम्हें रोना सुनाया है ,
इन बूँदों ने किसी का हाल बताया है,
क्या हवाओं ने किसी का एहसास करवाया है,
इस शोर वाली खामोशी मैं किसी का बोलना याद दिलाया है,
या.. एक बेपरवाह मौसम समझ , इसे तुमनें भुलाया हैं ,
या.. जानकर भी खुद को अनजान बनाया है ,
ऐसे कैसे तुमने ,मुझे को भुलाया हैं।
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