अगर इस आधी रात में... उस बेवफा की तस्वीर देखते हुए.... तुम "बेख्याली" गाना सुन रहे हो.... तो मुबारक हो मेरे दोस्त..., दुनिया की कोई शक्ति तुम्हें.... बर्बाद नहीं कर सकती... क्योंकि तुम पहले ही बर्बाद हो चुके हो...
Na Koi tasvir na Koi nishani Thi, Na Koi zanjir na Koi kahani Thi, Aapka Meri zindgi me aana itefaq tha sayad, Ya fir khuda ki hum par Koi meharbani Thi.
दुनिया से छुपा कर रखने के लिए... दिल के कोने में छोटा सा घर बनाया है। बैठ के गुप चुप बातें करने के लिए... झरोकों में मैने झीना पर्दा भी लगाया है। रंग–बिरंगी दीवारों को निहारने के लिए... तुम्हारी तस्वीर को भी फ्रेम में जड़वाया है। कि आ जाओ तुम अब मिलने के लिए... गर्मा–गर्म चाय पिलाने का वादा मैंने निभाया है। तुम्हारी सारी शिकायते दूर करने के लिए... कहो! मेरा ये अंदाज क्या तुम्हे पसंद आया है