तुझसे वाबस्ता रहूँ, बस तेरा रस्ता रहूँ। तेरे कमरे में रखा, कोई ग़ुलदस्ता रहूँ। तू बहुत महंगा रहे, और मैं सस्ता रहूँ। ले के तेरे सारे ग़म, मैं फ़क़त हँसता रहूँ। ख़ुद के अंदर रोज़ ही, मैं ज़रा धँसता रहूँ। शायरी की आड़ में, तंज़ मैं कसता रहूँ।
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