वक़्त जो संग चल रहा,,उसे बेशक़ जी जाएंगे;
ज़िन्दगी तेरे नखरे सारे हंसकर झेल जाएंगे...
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दिल-ए-जज़्बात,, में,,हसरत-ए-आतिश हम;
बोलते हर लफ्ज़ को इक दिन,ख़ामोश कर जाएंगे...
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बेबाकियां बहुत आला बना देती हैं न;
अक्स में अश्ना की चाहत भी अधूरी छोड़ जाएंगे...
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फ़लक...फ़क़त ,,मुरीद उस चाँद का तो नहीं,,
कशिश-ए-ख़ुर्शीद में ख़ुद को बयाँ कर जाएंगे...
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गुफ़्तगू,,राबता,,हुनर-ए-**अंदाज़**,,
**तल्ख़**ही **तल्ख़**मौजूद यहाँ,
ये हर कहीं दर्ज़ करा कर जाएंगे..!!
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