चलो, देखते हैं, अगर वहां पैसे की बात न हो,
तो फिर, शायद अपनी कोई बात होगी,
और दिखेगा कि अपनी ज्यादा बात न हुई,
क्योंकि आखिरकार वहां पैसे की बात ही होगी ।
इन सब से परे,
तुम्हारे और तथाकथित ईश्वर की बात भी कर लेंगे,
जो पैसों के लेन देन के बिना,
एक दूसरे का जिक्र तक नहीं करते,
एक दूसरे की फिक्र तक नहीं करते,
वहां बचना होगा बात करने से,
वरना बहुत सारे लोग बहुत सारी बात करते मिलेंगे,
कुछ लोग हैं जो तर्क लिए कुछ बात सही करते हैं,
कुछ लोग हैं जो ये बात करने से कभी नहीं डरते हैं ।
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