हो तो तुम बिल्कुल बीते नये सालों से लेकिन आशा है लेकर आओगे तुम नूतन सा एक सौंदर्य सवेरा, खुशियों से भरा एक नया बसेरा, हंसी ठिठोली का ढ़ेर हो जिसमें सबके स्थायित्व का लगाना डेरा, समस्त सुमन चिन्मयी खुशबु फैलायें बिछ जाना इन पर बनकर हेरा।।
बस इन्हीं चंद कामनाओं संग तुमको मैं पैग़ाम लिख रही हूं, ओ बारह रंगों से रंगे रंगरेज़ तुमको मैं नया साल लिख रही हूं।।
देखते देखते फिर वही हाल गुज़रने वाला है शुरू हुआ था जब तो न जाने क्या क्या सपने संजोये थे अब जो नहीं हुए पूरे तो फिर वही सपने संजोते हैं चलो एक बार फिर नए साल का नयी उमीदों के साथ स्वागत करते हैं