सुनो.. तुम फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आओ न.. लाखों फॉलो करेंगे तुम्हें..मैं भी मिलूंगी वहीं.. सोचता हूँ..चला गया तो..गाँव का बूढ़ा बरगद.. अनफ्रैंड न कर दे मुझे..!!
वो जो आप की .. राख ली थी ना , मैंने श्मशान से .. आप के जाने के बाद .. कागज़ की पर्ची में भर रखी है .. कभी कभी उसे खोल देती हूँ .. दुआएँ रोज़ साथ रहती है ..।
तुम कनटोप पहन आना.. हम मफ़लर लपेट आएँगे.. जाड़े की ठिठुरती रातों में.. बातों की अलाव जलाएंगे.. एहसास की चुस्की लेंगे.. यादों का कश लगाएंगे.. सुख दुख के पल बाँटेंगे.. मोहब्बत के गीत गाएँगे..
वो जो तुमने.. तावीज़ बाँधा था ना, मेरी बाँह में.. तुम्हारे जाने के बाद.. तुलसी की क्यारी में दबा आया हूँ.. अम्मा रोज़ जल चढ़ाती है.. दुआएँ रोज़ मुस्कराती हैं..।।
तुम्हारे बिना रिश्ते में तो बंधेंगे, मोहब्बत नहीं करेंगे, हां हाथ तो थामना होगा, अपना दिल नहीं लगाएंगे, जिस्म और जान नहीं जानते, रूह हवाले नहीं करेंगे, सपने संजोना दूर की बात है, हम खुद को ही भुल जाएंगे।
वो जो नर्म मुलायम रेशमी सतह पर खुरदुरा सा है वो मैं हूँ.. वो जो मुकम्मल होने की चाह में अधूरा सा है वो मैं हूँ.. वो जो सब कुछ कह देने के बाद भी अनकहा सा है वो मैं हूँ.. वो जो हासिल होने की राह में ज़रा सा चूक जाए वो मैं हूँ.. एक अधूरी कहानी का पूरा किस्सा..वो मैं हूँ..!!
बेटी तो बेटी होती है.. कोख से किसी के भी जन्मे.. अदिति आकृति सुकृति शक्ति.. रचना रागिनी माधुरी भक्ति.. नाम चाहे कुछ भी रख लो.. पराए को बहू और.. अपनी को बेटी कहते हो.. पर इस नवरात्रि में एक प्रण ले लो.. नौ दुर्गा की नौ स्वरूपा है बेटी.. हर घर की मान-सम्मान है बेटी.. अपनी बहू भी अपनी ही है बेटी.. बेटी..बेटी..हम सबकी बेटी..