सुनो! मुझे न बात-बात पर यूँही गुस्सा आ जाता हैं,
तुम मुझे हर बार अपने प्यार से मना लोगी क्या?1
सुनो! मैं अपनी भावनाओं के सागर में अक्सर डूबने
लगता हूँ हर बार तुम मुझे डूबने से बचा लोगी क्या?2
सुनो! बेवजह ही मेरा ये बावरा सा मन बेचैन हो जाया
करता हैं बेवजह, तुम मेरा सुक़ून बन जाओगी क्या?3
सुनो! मुझे हर वक़्त मेरे कल का ख़्याल सताता है,
तुम मेरा आज बन कर, मेरा कल सँवार दोगी क्या?4
सुनो! मेरे पास खुद के लिए भी वक़्त नही रहता है
आजकल, तुम मेरे साथ मेरा इंतज़ार करोगी क्या?5
सुनो! मैं बहुत आगे जाना चाहता हूँ इस ज़िंदगी में,
तुम हर एक राह पर ताउम्र मेरी हमराह बनोगी क्या?6
सुनो! 'एकतन्हामुसाफ़िर' हूँ जो अकेले ही चल रहा है
'सफ़र-ए-ज़िंदगी' में, तुम मेरी हमसफ़र बनोगी क्या?7
सुनो! मैं इंतज़ार में हूँ मेरे वक़्त के आने का मूदत्तों से,
तुम साथ में मेरे, हमारे वक़्त का इंतज़ार करोगी क्या?8
-