बहता हूं अश्क बन के रात दिन
इश्क सराय का किराया बहुत है
चाहता हूँ कर दूँ तुझे अलग मुझ से
पर तू नस नस में समाया बहुत है
इश्क है गम का सौदा बहुत बड़ा
मैंने भी दर्द कमाया बहुत है
ढूँढता है चैन इस में हर कोई डुब के
पर मैंने तो नींदों को गंवाया बहुत है
दिखता है ये नलिन किसी सरसी में ये प्रेम
पर इस के कांटों ने मुझे सताया बहुत है
बन कर नशा किसी पुरानी शराब का
इस इश्क ने मुझे झूमाया बहुत है
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