"मैं कौन हूं..."
मैं भौतिक नहीं हूं
मैं शरीर नहीं हूं
मैं विचार नहीं हूं
और मैं मन भी नहीं हूं
आखिर मैं हूं तो क्या..?
आखिर मैं हूं तो क्यूं..?
मैं आत्मा हूं, ये सूफियों ने कहा है, लेकिन क्या वाकई में एक आत्मा हूं..?
अगर मैं खुद एक आत्मा ही हूं, तो ये जान लेने में इतनी दुविधा क्यूं..?
माना की मैं मैं ही हूं, लेकिन ये खुद से खुद तक का तालमेल सा ही नहीं है, लेकिन क्यूं..?
अगर मैं आत्मा हूं, तो विचारों से संबंध क्यूं..?
अगर मैं आत्मा हूं, तो ये मन इतना दुखी है क्यूं..?
समझ ही नहीं आता ये खुद से खुद तक का संबंध
आखिर मैं हूं तो क्या...?
आखिर मैं हूं, तो हूं क्यूं...?— % &
-