QUOTES ON #SUFFERING

#suffering quotes

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The root of my suffering is related
to his smile that came after
seeing my wet eyes.

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19 AUG 2018 AT 8:31

Pain was inseparable part of her life.
She sportingly denied suffering even as an option.
The only thing she wanted was the focus.
She bought a camera.

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13 JUL 2021 AT 13:30

जिंदगानीयों के बीच मय्यत का ये शोर कैसा है?
देखो, हारा है इंसान और जीत गया पैसा है।



(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें)

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9 JUL 2021 AT 13:35

मुझे रश्क हुआ बशर से के वो मुझे अपनी चलती फिरती ज़िन्दगी का किस्सा सुनाते हैं,
मैं ठहरा हुआ एक युगों से, मेरा सूरज देता फ़कत तपन, उजियारे जी चुराते हैं।— % &

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14 JUL 2021 AT 14:11

बेहद नजदीक होकर भी गर मैं दूर दूर सी लगूं,
तो समझ जाना की दिल से निकाल दिए गए हो तुम।

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27 MAY 2020 AT 18:05

Because we nuture this
misconception in our minds...

" That people will be always with us
in our hard times
in the same way
we had been with them when they needed us.... "

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3 OCT 2021 AT 19:56

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10 MAY 2021 AT 20:53

नीलामी बाक़ी है।

मौत ने चाहा मेरी नज़र खौफ़ में हो
पर उस वक्त मैं भी उसका साथ चाहती थी।
उसे पसन्द ना आयी मेरी ऐसी गुस्ताख़ी
और उसने ज़िंदगी से मेरा सौदा कर दिया।
डर को ना पा कर मुझमें, वो मुझे डरा कर बोला -
" अभी वक़्त नहीं आया है, तुझे परखना बाक़ी है।
अभी तेरी नुमाइश बाक़ी है, तेरी नीलामी बाक़ी है।"

मैं घसीटी गयी दर्द के बाज़ार में
दर्द के दलालों ने कईं हिस्सों में मुझे बेच दिया
मैं थकी नहीं। मैं लड़ती रही
पर उन ख़रीददारों ने रहम न की
मेरे सुकून को बेचैनी ने ख़रीदा
मेरी मुस्कुराहट को तकलीफ़ ने ख़रीदा
मेरी काबिलियत को घमंड ने ख़रीदा
मेरी मेहनत को आलस ने ख़रीदा
मेरे सब्र को गुस्से ने ख़रीदा
मेरी मोहब्बत को नफ़रत ने ख़रीदा
मेरी ख़ुद्दारी को लालच ने ख़रीदा
मेरी वफ़ादारी को फरेब ने ख़रीदा
अब मेरे सारे जज़्बात टुकड़ों में बिक गये थे
ख़रीददार इनके बेहद ज़ालिम निकले

धीरे-धीरे गूंगा होना, बेहरा होना सीख लिया
मैंने भी इंसानियत को निगलना सीख लिया
बंद आँखों से बेरहम बन कर जीना सीख लिया
ज़िंदगी को बेबसी में गिड़गिड़ाते देख लिया
अब वाक़ई मौत से डरना सीख लिया

परख कर सब, मौत दूर से ही मुझे घूरती है
रोज़ मेरी साँसों की खैरियत पूछने आ जाती है
इंतज़ार है उसे, मेरी हिम्मत के बेघर होने का
खौफ़नाक मंजर में 'बेहद' हैवान होने का
अब यहाँ सिर्फ़ मेरी उम्मीद की नीलामी बाक़ी है।(गीतिका चलाल)@geetikachalal04

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15 AUG 2020 AT 22:02

We suffer more often in imagination than in actuality.

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12 JUL 2020 AT 2:23

भोली आंखें से भूक और प्यास टपक रही थी
नन्ही सि लौ उम्मीद रोटी की लगाए दमक रही थी
वहशी दुनिया ये कब की बुझ जाती
पर उस मासूम की आस में इतनी रोशनी थी
कि पूरी कायनात उसकी चेहरे में चमक रही थी

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