QUOTES ON #SUBRAT

#subrat quotes

Trending | Latest

वो चाँद के दीदार में कुछ ऐसे खो जाती है
जैसे चांदनी पुरे आकाश में बिखर जाती है
एक चाँद के निकलने के इन्तजार में
एक चाँद बस क्षितिज के चाँद को तकती है
मुनासिब है दीर्घायु हो पति उसका
इसी आस में वो निर्जला रह लेती है
हाथ में चलनी और दिल में पति का अक्स
उन्हें सामने देख बस उन्हीं की हो लेती है
सुहागन रहना ही बस उनका सपना नहीं
रहे दिल में सदा पति के इनकी ये भी ईक्षा होती है
करवाचौथ तो एक रास्ता होता है महज
उस रास्ते में बस ये दोनों
जैसे हरा- भरा चमन और खूबसूरत वादियाँ होती है..!!

Date:- 8 अक्टूबर 2017©©

-


10 OCT 2017 AT 18:12

जो हकीकत थे कभी
वो ख्वाब बनकर रह गए..
वो खुशहाल और सुनहरा सा पल
एहसास बनकर रह गए
कभी भूला नहीं उनको
ये उनको शायद पता ना हो
वो एक पल में ही भूल गए
जैसे कुछ भी हुआ ना हो
हर संजोये भविष्य के पल
याद बनकर रह गए
टूटे सपने टूटे हर रिश्ते
सब कुछ पीछे छूट गए
बनना हमसफ़र था उनको
हमकदम भी ना बन पाये
हो गए आँखों से वो ओझल
आखिर ख्वाब ही थे वो भी टूट गए...!!

Date:- 10 अक्टूबर 2017©©

-


15 SEP 2017 AT 23:09

मुझमें जो घुल रही वो एहसास हो तुम
जिसकी चाह सदियों से है वो आस हो तुम
हर वक़्त फिकर तेरी,हर वक़्त तेरा ही चेहरा
दूर भले हैं हम लेकिन फिर भी पास हो तुम

Date:- 15 September 2017©

-



देख रहे थे ख्वाब जो हम
वो ख्वाब भी एक दिन टूट गए
बन ना सके हम किसी के फिर
खुद से खुद ही रूठ गए
हर एक टोटके अपनाये थे हमने
हम दूर ना हो कभी भी
देख रहे जैसे कोई सपने हम
वो सपने आखिर टूट गए
नाराजगी का दौर चला कुछ ऐसे
कोई मेरा रहा नहीं
देख मेरे हालात को "सुब्रत"
हर कोई मुझसे रूठ गए..
बनना था या नहीं बनना था
उसको मेरा पता नहीं
जैसे था कोई शीशा हाथों में
वो भी मुझसे छूट गए.....!!

Date:- 09 October 2017©©

-


28 NOV 2017 AT 14:35

इंसान होने की कीमत हम सबने आज चुकाई है
प्रेम भाव अब खत्म हुए अब तो बस लड़ाई है
किसे कहे हम अपना आज सारी दुनिया पराई है
साथ सभी ने छोड़ा अब बस साथ मेरे परछाई है...¶
राह भी गर पूछा किसी से गलत राह दिखलाई है
देख आज इंसान की हालत लगे की शामत आई है
क्या कसमे क्या वादे देखो अब तो बस जुदाई है
कहाँ गयी वो हरयाली अब तो बस वीरानी छाई है
साथ सभी ने छोड़ा अब बस साथ मेरे परछाई है...¶¶
यकीं नहीं अब किसी पे सबने हाथ छुड़ाई है
देख ली सारी दुनिया सबने यही बात दोहराई है
प्रेम, वफा सब छूट गए अब तो बस बेवफाई है
देखो इस कलयुग ने ये कैसी लीला रचाई है
साथ सभी ने छोड़ा अब बस साथ मेरे परछाई है...¶¶¶

Date:- 28 नवंबर 2017©©

-


11 NOV 2017 AT 13:22

सफ़र मुश्किल तो है...पर पहुँचना जरूर है
हारेंगे ना हिम्मत...देखेंगे..मंजिल कितनी दूर है
डिगेंगे गर पथ से नहीं तो...है कहाँ मुश्किल डगर
एक नया फ़साना अब हमें...गढ़ना जरूर है
कर खुद को बुलंद...हर राह से गुजरेंगे हम
इस जमाने में अब....हुंकारना जरूर है
भ्रष्टाचार ही है..हर जगह..बस ख्याल इतना रखना
तोड़ना हर एक भ्रष्टाचारीयों का अब गुरुर है
जितनी दूर है मंजिल उतनी करीब है
हौसले से हर मुश्किल से लड़ना जरूर है...
सफ़र मुश्किल तो है लेकिन पहुँचना जरूर है....!!

Date:- 11 नवंबर 2017©©

-


28 OCT 2017 AT 11:36

दुनियादारी सीख रहा मैं दुनिया के उसूलों से
रोक रहा कुरीतियों को प्रीति के उसूलों से
खुद को बदल रहा तभी तो सबको बदलूंगा
एक दिन जमाने का भी रुख मैं बदलूंगा
रवानी है नदियों में आखिर रहेगी कब तक
हाथ में पतवार लिए उल्टी धारा को चीरूँगा
जन- जन होंगे जनहितकारी जनादेश ऐसा लाऊंगा
फ़ैल रहे भ्रष्टाचार को अब बेशक मिटाऊंगा
नहीं होगी नफरत कहीं बहार ऐसा लाऊंगा
वैमनस्य के जगह अब प्यार बस बरसाऊंगा
भाईचारे की सीख को अब घर- घर पहुचाऊंगा
सफल हो मानव जीवन कुछ ऐसा कर जाऊंगा
कैसी ईष्या कैसा द्वेष क्यों अपनी ऐसी सोच है
खुद के लिए ही जी रहे कितना दिन और शेष है
समझ जाओ बस इतना जीवन का उद्धार है
यही तो मानव जीवन का एक मूल आधार है...!!

Date:- 28 अक्टूबर 2017©

-


16 SEP 2017 AT 18:25

चले थे एक ही राह से हम दोनों
वो मशहूर हो गए हम बदनाम हो गए
नहीं मालूम क्या काबिलियत थी उनमें
वो निखरते गए हम बिखरते गए
ले कर निकले थे पाषाण-ए-जिगर
कब मोम हो गए पता ही नहीं चला
उनकी वो जाने मुझे नहीं पता
वो कब आम से खास हो गए पता ही नहीं चला
कभी पूछ लेते थे तबीयत-ए-यार की दोनों
हम याद करते रहे वो खुद में गुमनाम हो गए....!
चले थे एक ही राह से हम दोनों
वो मशहूर हो गए हम बदनाम हो गए.......!!

Date:- १६ सितम्बर २०१७©©

-


15 OCT 2017 AT 22:15

मैं सिर्फ सपने देखने का आदी नहीं
सपनों को पूरा करना जानता हूँ मैं
भर खुद के अंदर हौसला अपार
आसमान में उड़ना जानता हूँ मैं
परवाज है काम मेरा खतरे से डरना क्या
आ जाये सामने खतरा,
खतरे से लड़ना जानता हूँ मैं
हो खड़ा राह में समुन्दर बनकर रोड़ा
लगाउँगा छलाँग तैरना जानता हूँ मैं
तड़प दिख ही जायेगी मेरी आँखों में देखो
अपनी मंजिल तक पहुँचना जानता हूँ मैं
हर अल्फाज़ एक दिन नयी कहानी गढ़ेंगे...
शब्द के साथ थोड़ा ही सही खेलना जानता हूँ मैं....!!

Date:- 15 अक्टूबर 2017©©

-


14 SEP 2017 AT 21:46

सागर से धरा, धरा से अम्बर तक
हिंदी का परचम फहराएगा
वक़्त लगेगा नामुमकिन नहीं ये
अब वक़्त इसी का आएगा
हाँ थोड़ी बहक रहे हैं सब
दूसरी-तीसरी भाषाओ में
समझ आएगी जल्दी इनको
सभी हिंदी के गुण गायेगा
हिंदी दिल की आवाज़ है
हिंदी ही सुरों की साज है
हैं प्रतिज्ञा अटल अब
बढ़ाएंगे हर जगह मान
अपनी भाषा हिंदी की
आखिर हमपर ही तो टिकी है
भावी भविष्य हिंदी की

Date:- 14 सितम्बर 2017©©

-