QUOTES ON #STUDENTLIFE

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1 SEP 2020 AT 10:55

।। छात्र-हुंकार ।।

जन-जन की आवाज यहीं, कण-कण की आवाज यहीं
आवाज़ यहीं हैं राग यहीं, टूटे दिल का अनुराग यहीं;
मासूमों की पुकार यहीं, छात्रों की हुंकार यहीं,
झुठो को आभार यहीं, आंसुओ कि धार यहीं ।

कवियों की झंकार यहीं, गजलों की फनकार यही;
सत्ता का तिरस्कार यहीं, जनता का अधिकार यहीं।

एक छात्र से एक परिवार, परिवारों से हैं राज्य बना,
राज्यो के ही सम्मेलन से, ये सारा साम्राज्य बना;
सरकार, न्यायालय और पत्रकारों ने भी हमें ठुकराया हैं,
आंखे मूंद के बैठे सब, छात्रों को बहुत तड़पाया है।

ओ मस्त-मगन सोने वाले,
खुद के किस्मत पे, भविष्य में रोनें वाले;
तेरे अत्याचारों पे लेख लिखेगी,
तुझे न वोटों की ,कभी भीख़ मिलेगी।

दिनकर को तुम भूल मत जाना,
जे.पी. को याद कर पछताना।

गर एक की भी जान गयी तो, छात्रों का हुंकार मचेगा,
सत्ता का ध्वज गिरेगा, नेताओं का आहुति होगा,
चक्रपाणि के चक्र से, विश्वासघातियो का मस्तक कटेगा,
रणभुमी में महासंग्राम मचेगा, गुंजो से अंबर फटेगा।

तेरा गद्दी भी हिल जाएगा,
ताज़ तेरा भी गिर जाएगा,

एक भयंकर वज्रपात आएगा, छात्रों का ललकार जागेगा,
कुर्सी तेरा टूट जाएगा, केवल सच्चाई का जय-जयकार होगा।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

Dedicated to Students Protest ✊🙏


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27 SEP 2020 AT 23:45

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19 AUG 2020 AT 18:29

।। विश्वासघात ।।

धरा धरातल धरती के धड़ पे ,
देखो कितने आघात हुए;
वीरो की शहादत व्यर्थ गए,
जब - जब अपनों ने ही विश्वासघात किए।

युद्ध में शत्रु निष्ठावान हो तो,
यश कीर्ति उन्हें भी सदा समान मिलती है;
किंतु दुनिया इन दोहरे चरित्र वालों से बचना,
अरे दो कौरी में तो इनकी ईमान बिकती हैं।

देखो ,समझो, ज़रा इतिहास के पन्ने पलटो,
वहा हर लेखो में, हजारों जयचंदो की कहानी हैं;
वरना काफिर या फिरंगी में ,इतनी साहस कहा जो आर्यावर्त लूट सके,
जिनकी फसलें हों रक्त से सिंचित , जहां हर क्षण पड़ती केसरिया कुर्बानी हैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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29 AUG 2020 AT 20:14

यू ही नहीं यारों पे, हम जान वारां करते हैं,
सारा वक्त अपना ,उनके साथ गुज़ारा करते हैं,
क़यामत आने पर भी,जो साथ छोड़ने को राज़ी न हुए,
ऐसे जज़्बातियो के साथ हम, तूफ़ान का पलके झुकाया करते हैैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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30 AUG 2020 AT 21:03

।। महाराणा प्रताप ।।

बप्पा रावल, कुंभा, सांगा का वंशज ,उदय- जयवंता बाई का रक्त वो थे,
आचार्य राघवेन्द्र का शिष्य, मां पद्मावती का भक्त वो थे;

गौरव,स्वाभिमान,साहस का प्रतीक वो,
मस्तक शत्रु के सामने ,जिन्होंने कभी न झुकाई,
घास की रोटी सप्रेम स्वीकार उन्हें किंतु,
मुगलों की गुलामी, प्रताप को कभी न भायी।

हल्दीघाटी की रक्त-प्यासी भुमि पे, जब महासंग्राम रचा,
प्रताप का तलवार चमकी ,रणभूमी में कोहराम मचा;
महाराणा का शोर्य, वीरता देख शत्रु थर-थर कांप उठे,
एकलिंग का आशिर्वाद प्राप्त जिन्हें ,भला उनसे लड़ने का साहस कौन करे ?

सत्तर किलो का कवच, अस्सी किलो के भाला का, जिसने वजन हो माप लिया;
युद्धभूमि में बहलोल खान को,अश्व सहित एक ही वार में काट दिया।

मेवाड़ी आश्चर्य की देखो कैसे केसरिया ध्वज निडर अडा,
चेतक-सा अश्ववीर स्वयं,महाराणा का साथी बन यहां खड़ा।

घायल प्रताप को जब ,शत्रु से घिरा उसने भांप लिया,
कटे पैर से अठ्ठाईस गज़ का नाला उसने नांप लिया,
महाराणा के प्राण बचा जिसने अपने प्राण त्याग दिए,
पुत्र समान चेतक वियोग में प्रताप चित्कार उठें।

सत्य हैं राजपूतों को,यूं ही सम्मान प्राप्त न होता है,
चार वर्षीय बालक भी यहां ,मातृभूमि पे मर-मिटने को रोता हैं;
माथे पर कफ़न के ऊपर, जो भगवा बांध के सोतें हैं,
मेवाड़ी-मिट्टी में केवल, स्वाभिमानी वीर ही पैदा होते हैं।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag






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27 AUG 2020 AT 23:55

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26 AUG 2020 AT 17:03

मोहब्बत की जंजीरों के, जकड़न में फॅंसने वालों को रिहाई नहीं मिलती
दर्द बेपनाह मिलती हैं ,पर इश्क़ में दुहाई नहीं मिलती,
कुछ मेहरबानी, इस जालिम जमाने का भी हैं यारो,
वर्ना हर वफ़ा की सज़ा, आज रुसवाई नहीं मिलती।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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18 AUG 2020 AT 22:39

।।नेताजी सुभाष चन्द्र बोस।।

आज़ादी के लिए कुर्बान वीरो में ,एक दीवाना ऐसा था,
राष्ट्र - प्रेम में राष्ट्र त्याग किया ,वह परवाना जैसा था;
खून के बदले आज़ादी का सौदा मंज़ूर उसे,वह मस्ताना ऐसा था,
आज़ाद हिन्द की स्वतंत्र फौज बना वार किया,मर्दाना वह वैसा था।

भगत सिंह के विचारों से था प्रेम उन्हें,
नौजवान चंद्रशेखर पर गहरा विश्वास था;
राष्ट्रप्रेमी वीर सेनानी की मानों तो,
स्वाभिमानी स्वतंत्रता की ,वह सबसे बड़ी आश था।

कविगुरु टैगोर का भक्त था वो,सत्य अहिंसा का उन्हें भी ज्ञान था,
खुद खामोशी में संघर्ष कर,बापू को राष्ट्रपिता का ,दिया उन्होंने सम्मान था;

स्वतंत्रता की महाभारत में ,जब - जब अंग्रेजो ने घात किया,
गांधी को पितामह घोषित कर , स्वयं कृष्ण का पात्र किया ।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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25 AUG 2020 AT 19:39

किसी की लफ्जों पे आज, फिर से हमारा नाम आया हैं,
हमसे मिलने की ख्वाहिश हैं, उनका ये पैगाम आया है,
उन बेवफ़ा से बड़ी इज्ज़त से कहना की, अपनी जलवे कहीं और दिखाए,
अब हम इतने नाजुक भी नहीं रहें, जो इश्क़ में बार-बार अपना दिल तुड़वाए।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

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22 AUG 2020 AT 18:06



।।_ नारी-शक्ति_ ।।

सृष्टि सारी रचने वाली, सबके कष्ट हरने वाली,
अग्नि में स्वयं तपने वाली, ममता रूपी तू सारा संसार हैं;
उसकी रक्षा भला कोई क्या करे,
जो स्वयं साक्षात् दुर्गा की अवतार हैं।

तेरे पलको से गर अश्रु-बूंद गिरे तो,
नभ से क्रोधित अम्लो की वर्षा होगी;

पर्वतराज हिमालय की शीश झुकेगी,
बूंद-बूंद उड़ महासागर सूखे उठेगी;
मां धरती की गर्भ फटेगी,
ज्वालामुखी की ग्रीष्म लावा तपेगी।

मां संतोषी का शीतल ,शांत रूप त्याग,
अब तू अपनी,विध्वंसकारी चण्डी स्वरूप दिखा;
जिस दूषित लहू के उबाल ने, तेरे नब्जो को रोक दिए,
उन रक्तबीजों के बूंद-बूंद को पी,अपनी जीभा की प्यास बुझा।

जो धड़ तेरी आवाज़ दबाने उठे,
उसे काट, गुथ, मां काली की माला तू बना;
जिन नेत्रों ने तुझपे कुदृष्टि डाली,
उसे नौंच मां अम्बे की चरणों में चढ़ा।

जब-जब पपियों के पग, तेरी अोर बढ़े,
खड्ग से खंडन कर, उस से अपना सिंहासन बना;
चरित्रहीन के मलिन हाथ काटकर,
तु अपने मुकुट की छत्रछाया सजा ।

तेरी दामन में गर ,थोड़ी-सी भी दाग़ लगेगी,
अंबर में बादल फटेगी, थर-थरा पूरी धरातल कांप उठेगी;

अर्जुन के गांडिव पर प्रत्यंचा चढ़ेगी,
विद्युत्-तरंग रूप ले इन्द्र-व्रज बरसेगी;
विष्णु सुदर्शन चक्र से,पापियों की मस्तक कटेगी,
महाकाल त्रिनेत्र से, दुष्टों की प्रचंड आहुति होगी।

🖋️🖋️🖋️ Kumar Anurag

Dedicated to All Woman of the World🙏







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