नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत् ।
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥
अर्थात् : - विद्या के सामान कोई बंधु नहीं , विद्या जैसा कोई मित्र नहीं , विद्या धन के जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं . अतः विद्या इस लोक में हमारे लिए सकल कल्याण की वाहक है , अतएव विद्यार्जन जरूर करनी चाहिए .
🙏23 April - World Book and Copyright Day🙏
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