आत्मविश्वास
अपना मुकाम, अपना जहाँ बनाऊंगाी,
ना रुकूंगी, ना झुकूंगी, आगे चलते जाऊँगी।
अब ना किसी के आगे झूकना है,
ना ही कभी खुद को रोकना है।
अब लाख रोको, चाहे रुकावटें डालो,
चमकूंगी सितारा बनकर, बस इतना जान लो।
ख़ुद की कीमत से वाकिफ़ हूँ, पत्थर से मूरत बन जाऊँगी।
दर्द सहा है इतना के अब और, रुक नही पाऊँगी।
तकलीफें इतनी झेली है, के अब फर्क नहीं पड़ता ।
अब चाहे कितना भी डरा लो, ये सर नहीं झुकता।
ज़रा कमियाँ ढूँढ ख़ुद में, एक सुकून मिलेगा।
औरों को गिराने से बेहतर, ख़ुद से तू मिलेगा।
ज़रा आईना दिखा ख़ुद को, जमीं पर ख़ुद को पाएगा।
अगर औरों को जो गिराया तू, उसी ज़मी पे दफन हो जाएगा।
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