मुश्किल से जो गुजर रहा ये वक़्त भी कमाल का है,
मेरी आँखों ने जो देख रखा वो मंज़र मेरे मुक़ाम का है,
बस तुम हिम्मत रखना और कहीं डोल मत जाना,
ग़रीबी मेरी देख कर कहीं मुँह से कुछ बोल मत जाना,
तारों की छाँव में बैठ मैंने रात भर पढ़ाई की है,
वक़्त आने पर तू बोलेगी तेरे लिए मैंने मम्मी से आज लड़ाई की है,
चल अभी करता नहीं मैं वादे तुझसे बड़े बड़े,
पर Time आने पे ख़रीद दूँगा तुझे ताज महल खड़े खड़े ।
-