मैं बहुत पहले से जानता था कि एक समय आएगा सब कुछ समाप्त हो जाएगा; वहां शुरुआत करनी होगी जैसे मुझे भ्रष्ट बनाने की लोगों की सिख झूठी उम्मीदें, शादी करके घर बसाने के विचार मैं जानता था वह सब अपनी अज्ञानता को समझते हैं। किंतु वह सब नहीं जानते मेरे जैसा व्यक्ति एक तरह का होगा तो वह जहां भी होगा अकेला होगा।.... ..
मैं संसार से दूर होता जा रहा हूँ, जबकि इसे जीवन के साथ विस्तारित किया था; और, मैं शीघ्र समाप्त करना चाहता हूँ" किन्तु सबसे बुरी बात यह है कि मध्य में ज्ञात हुआ कि' मैंने भीतर एक ऐसी कहानी को 'प्रारंभ' किया है , जिसका कोई 'अंत' नहीं है।.....
मेरे बाद जब भी तुम मुझे याद करना, छत पर चांद से जाकर मेरी बात करना। मेरी याद के साथ ही खुद को तुम हमेशा शाद रखना, आंखों में तस्वीर मेरी और होंठो पर मुस्कान रखना। किसी और के ख्यालों की कैद से तुम खुद को सदा आज़ाद रखना। मेरी नामौजूदगी में भी तुम छत के उस एक खास कोने को आबाद रखना।