आज इतने दिनों मे पहली बार एहसास हुआ
कि जो मैं ढूँढ रही थी वो तो मुझमे ही कही मौजूद था
जरूरत बस इतनी सी थी कि कोई मुझे भी अपना सके
और बता सके कि मैं मेरी कमियों के साथ भी बेहद खूबसूरत हूँ
कोई मेरे दिल में पड़ी दरारो को भरने की बजाय
मेरी दरारो का ही हिस्सा बन सके
वो जो सोच में थी मैं कि बेवफ़ाई का एक दाग मेरे दामन पर भी लग गया है
आज समझ में आया कि ये दाग नहीं,ये वो कदम था जिससे मैंने खुद से खुद का हैं रिश्ता निभाया
एक डर का साया हैं जो हमेसा से हैं मेरे जेहन में छाया
काश किसी रोज़ इस डर से दूर भाग मैं दो पल बेफिक्री के जी सकूँ.....
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