जीवन का सबसे बड़ा दुःख है तब होता है जब हमें पता चलता है कि हमारे हर विचार में समाज का प्रभाव है और हमारे लिए वही सच है जो समाज मानता है। दुःख की वजह होती है व्यक्तिगत सच को ना देख पाना ।
कभी इतिहास कि किताबों में कुछ चीजों पर गौर करना १. शोषक हमेशा उच्च वर्ग था २.ईश्वर और धर्मग्रंथों ने कभी किसी भी शोषित वर्ग की बात नहीं की ऐसा क्यों असल में, ईश्वर और धर्मग्रंथ की रचना हमेशा शोषक वर्ग करता है ताकि वो अपने कुकर्म को निर्विवाद रूप से स्पष्ट कर सके। ईश्वर और धर्मग्रंथ हमेशा शोषक वर्ग के हितैषी होते हैं और धर्मग्रंथों में शोषित वर्ग को हमेशा बहिष्कृत और निम्न साबित किया जाता है।