अवांछित उधार ...!!!
*******************
बासठ के पार उम्र के उस पड़ाव पर ..
जब मांगता है मन ,
बस थोड़ा सा स्नेह और प्यार ..!
लेकिन जब घर का
एक कोना ही ,बना दिया जाय
उनका संसार ..!
छीन लिया जाय ,उनसे कुछ भी
कहने का अधिकार ..!
जब संतान को बंधन लगने लगे
माता पिता का प्यार ..!
जब संतान को विपत्ति लगने लगे
माता पिता के प्रति व्यवहार ..!
तब संतान
तनिक क्षण भर को ठहरें ,
और सोचें कि
हमें भी चुकाना होगा ,
कल को ये अवांछित उधार ..!!!
-