दिन आते है और आ के चले जाते है
हर दिन हमें अपने साथ कुछ सीखा जाते है
बस ये सीखने वालों पर है, वो क्या सीख पाते है
कुछ सीख कर अच्छे, कुछ बुरे बन जाते है.
हर दिन का अपना महत्व है, हम तो मजबूर है क्यूंकि
जैसे हम कोयले को साबुन से धो कर सजा नहीं सकते
वैसे ही हम मूर्खों को कुछ सीखा नहीं सकते.
यह जमाने की प्रकृति है,
जिसने इतना कुछ कितने कुछ को सीखा दिया
तुम तो इतने पर ही अचंभित हो पर,
यहाँ तो इंसान ने अपना भी क्लोन बना लिया.
जागो, कुछ सीखो, आज का दिन जा रहा है
कल जो आएगा तो ठहर नहीं पायेगा
फिर से एक मौका तुम्हारे हाथ से निकल जायेगा
आज कुछ नहीं गया पर कल चला जायेगा.
बेहतर यही है जागो कुछ करो
समय को पकड़ो, अपनी मुट्ठी में करो
वरना समय निकल जायेगा, और हाथ न आएगा.
एक दिन और बीत जायेगा.
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