#AAP #arvind #kejriwal
चले थे लड़ने जिससे , उसी से यारियाँ हो गई,
आपकी बातें भी सारी, सिरे से ज़ाया हो गयीं !
क़समें खा खाकर तुम , खड़े थे जिसके ख़िलाफ़,
इश्क़ उन्हीं से कर बैठे,ये क्या मजबूरियाँ हो गयीं !
वो तोहमतें सच थी ,या किसी कहानी का हिस्सा थीं,
जिनकी परछाई तुम्हें गवारा नहीं,वही हमसाया हो गई !
बंगला तुम्हारा,गाड़ी तुम्हारी,हुकमरानी भी ठीक है,
ले देकर एक ग़ैरत बची थी ,वो भी स्वाहा हो गई !
मफ़लर,खांसी,स्वेटर,चप्पल,और नीली छोटी सी गाड़ी,
सीढ़ियाँ थी सियासत की,चीज़ें खूब दिखावा हो गयीं !
ठगी हुई लग रही है दिल्ली,ठग के राजा बनने के बाद,
पानी,बिजली,सड़कें ,सौहार्द, बातें सारी छलावा हो गयीं !!
Vivek Sharma
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