ये सियासत की आड़ में धर्म और मज़हब को ना बांटिए जनाब,
सुबह की पूजा और शाम की अज़ान, दोनों ही कूबूल है हमें ।-
इंसानियत के बीच नफरती दीवार नहीं होती
गर हुक्मरानों के जुबां पे तलवार नहीं होती
अभी भी वक़्त है ना बटों हिंदू-मुस्लिम में
टूटते हौसलों का कोई रफ्तार नहीं होती
सींचा है अपने लहू से इस मुल्क को सबने
समझ जाते गर इतना तो तकरार नहीं होती-
खामियां सब में है किस से शिकायत करूं
सब तो अपने ही हैं किस से बगावत करूं
इस सियासत ने सबको बांट रक्खा यहां
मुल्क हम सबका है किस से अदावत करूं-
सदियों के मोहब्बत को
एक लम्हे कि नफरत खा गई
मुल्क का अमन
ये गन्दी सियासत खा गई...-
“Har waada tod kar wo ek naya waada karte thy,
Wo mohabbat mein bhi siyasat karte thy...”-
हर बात पे हिन्दू मुसलमान का दंगल
अरे हिन्दुस्तान है यह या कोई जंगल
अन्नदाता मर रहा है हर रोज़ ही यहां
राजनीतिक लुटेरे मना रहे हैं मंगल
चपरासी पद पीएचडी - धारक ढ़ूंढ़ रहा
पीएम तो बन जाते अनपढ़ ही अंकल
सरहद पर भी तनातनी है हर तरफ
हर तरफ अंदर भी मची है हलचल
नेता सारे चीख रहे विकास विकास
सर्वे में सब लगता भैया हमको छल
वोट तो करें हम अरे मगर किसके लिए
आज बनादें राजा चौकीदारी करेगा कल
ज़रूरत देश को है चौकीदारों की भी
चयन प्रक्रिया को तो इसकी ना बदल
इलिजीविलिटी बढ़ा दी तूने चौकीदारी की
आम आदमी बनना अब चौकीदार मुश्किल
हर शहर में भूखे लाखो , लाखो नंगे भी
बाकि भाइयो बहनों सब कुशल मंगल
अबकी सरकार किसकी और कैसे लूटेगी
'हयात' कुछ नहीं यही सोच रहा है आजकल-
ये हिंदू ये मुसलमां सियासतदानों का है ये दुकां
हरा मस्जिद तो पीला मंदिर का मकां
दोनों जगह मौज़ूद हैं सर्वशक्तिमान,
इक करता इबादत इक होता नतमस्तक
यहां गीता का सार वहां तिलावत- ए- क़ुरआन
है सबका अपना अपना ईमान
हर मज़हब है सिखाता बनो इक अच्छा इन्सां
कोई है एकेश्वरवाद कोई है बहु-ईश्वरवाद
पर सबका मालिक एक ही है ऐ इंसान
ये हिंदू ये मुसलमां सियासतदानों का है ये दुकां.-
सियासत के चक्कर में
ईमान बेच डालेंगे...
वो नेता हैं, साहब...
हिन्दू, मुसलमान में हम फँस गए...
तो वो हिन्दुस्तान बेच डालेंगे...-
आहिस्ते आहिस्ते सब कुछ तो बिखरा जा रहा है
लेकिन, समझ में किसी को कुछ कहाँ आ रहा है
हम सब थिरक रहे बस उस हूजूर के सर्द धुन पर
किसी को क्या ग़रज़ कि भला वो क्या गा रहा है-
Humne Is duniya me ek Ajab si baat dekhi hai
logo ke badalte hue rang to dekhe sab ne
Humne logo ki badalti hue awkaat dekhi hai
Full Poetry in caption
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