#तेरे इश्क में ए-वक्त...!
तेरे इश्क में ए-वक्त गुलामों के गुलाम हो गए,
बदनाम सरे आम हो गये।
पता नहीं था मुझे हाथ जिसके छोड़ तुम्हारे पास आया,
तुम उन्ही के हाथों नीलाम हो गए।
कद्र कितना करता था तुम्हारा, पता है तुम्हें? दुश्मनों को कहा करते थे अपना वक्त को आने दे बदला भी फतवा जोड़ कर लेंगे,
और तुम जंग-ए-मैदान से फरार हो गए।
किस बात की इंतिकाम ले रहा है तू,
अब तो आशियाना भी आतिश से जलकर खाक हो गया मेरा,
झेल ना पा रहे ये आफत-इब्तिला,
ना मिल पायी निजात तुमसे।
बह गए आब्-ऐ-चश्म मेरे नयन से सारे,
तेरे इश्क में ए-वक्त गुलामों के गुलाम हो गए,
बदनाम सरे आम हो गये।
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