जैसे बहती रहती है सदा गंगा की अविरल धारा..,
ऐ पथिक तू चलता जा यही तो मार्ग है तुम्हारा..,,
तुझे हर पल मिलेंगे राह में काँटे अनेक..,
पर तू ना दम लेना ऐ राही राह में घुटने टेक..,,
साँस ना लेना जबतक तू ना करले लक्ष्य को प्राप्त..,
ऐ राहगीर..!! तू याद कर अभी बहुत है तुझमें शक्ति व्याप्त..,,
दुनिया बदल सकता है तू..,
बस यही बना ले अपना नारा..,,
जैसे बहती रहती है सदा गंगा की अविरल धारा..,
ऐ पथिक तू चलता जा यही तो मार्ग है तुम्हारा..!!
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