मैंने लोगों को करीब से..
..पढ़ कर भी देखा
मैंने रिश्तों की ऊंचाईयों पर..
..चढ़ कर भी देखा
सहारे भी वहीं मिले..
..और ठोकर भी
कुछ सीखा मैंने कुछ पा कर..
..कुछ सीखा मैंने कुछ खो कर भी
दुनिया का कोई इश्क ...
..अब गवारा नहीं
अब कोई भी मुझे ..
..मेरी मां से प्यारा नहीं
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