मैं शायरा हुँ, क़ब्र कि ज़मीन तक,चुम कर आ जाती हुँ, लोग पूछते हैं हमसे, ज़ख्म से खेल कैसे लेते हो तुम, मैं नज़रे और पलके झुका कर कह देती हुँ, अधूरी ख्वाइशों का नाम ही तो शायरा हैं|
Dheere dheere krke hum sab se dur jaa rhe hai Sab se dur jane ka jokhim utha rhe hai Nafrat krne ka raasta apna rhe hai Khud ki nakaamayabion ka bojh utha rhe hai
रौशनी को कैद कर अंधेरों के सहारे रहे हम , ठिकाना होते हुए भी बंजारे रहे हम , चांद के साथ रहकर भी , उसे न जान पाने वाले सितारे रहे हम , तुम्हारे रहे हम !!
-
Fetching #shayarioftheday Quotes
Seems there are no posts with this hashtag. Come back a little later and find out.