दिल मे धोखे हजार लिए फिरता हू आज कल, भरोसा अब भरोसेमंद पर भी करने से कतराता हू, रिश्तों की जाल मे एसा फंसा हू वफ़ादार बनके, सोच और उड़ान आसमान से भी ऊँची हैं मेरी फ़िर भी, रिश्तों की चोट की वजह से में जमीन पे अपने परों को फड़फड़ाता हू...
अपनो की खातिर ही जल रहे हैं वो। सलाम है उनको कि लड रहे हैं वो।। यही चिंगारी एक दिन शोला बनेगी। अभी तो सहराई से गुजर रहे हैं वो।। -- सतेन्द्र वैरागी दशहरा वाले 7983359540/9837491576
समय बस काटना है अब,किसे रिश्ता निभाना है दिखावे की ये दुनिया है, यहां सबको दिखाना है कभी इज़्ज़त,कभी दौलत,कभी हसरत की दीवारें यहां हर शख्स के होठों पर कुछ न कुछ बहाना है