QUOTES ON #SHAMEONMEDIA

#shameonmedia quotes

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9 JUN 2020 AT 8:40

अगर ज़िन्दगी में दलाल बनना चाहते हो,
तो पत्रकारिता का भी एक option खुला है।
और मेरा यक़ीन मानों,
ये दलाली करने के लिए best है।

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पुराने ज़ख्म भी इस तरह खोलेंगे
तुम्हे लगेगा मरहम लगा रहे है

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1 FEB 2021 AT 12:20

आंसू पेट्रोल बन जाते है... पर शर्त है कि सच्चे हो...
वाह ....... !!!टिकेत साहब💞✊🤞🤞

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13 SEP 2017 AT 17:41

Stop shouting your lungs out!

Stop poking in their wounds!

Your breaking news is breaking someone already broken.

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30 SEP 2020 AT 9:53

यहाँ आवाज उठती है
जाति, धर्म देखकर

वो लड़की थी साहब
कोई हथिनी या गाय थोड़े ही थी..

जो उसके मरने Media and Govt
कुछ कहे.....

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6 SEP 2020 AT 13:11

The Media is the Mob.

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16 JAN 2021 AT 17:34

लद्दाख में शहीद हुए जवान
ठंड में मर रहे है किसान
हमेशा चलने वाली मोदी की ज़ुबान
क्या करेगी इन शहीदों को प्रणाम?

कुत्तों की फौज पीछे लगा रखी है
देश की बोली इसने लगा रखी है
अभी तो दोस्त कम है इसके
उन्होनें ने ही आफत मचा रखी है।

'मन की बात' तो सब करते है
पर दूसरों की भी सुना करते है
कलम की कुछ बात तो होती हैं
तभी लिखने वाले इतिहास रचा करते है।

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4 JUL 2020 AT 12:03

the eyes of those opportunists,
who pretend to play victim!
Wherever I go, I find corruption
from level zero, to the top.
Wherever I go in my country,
I feel tired of watching,
a bunch of illiterate buffoons,
dictating the world's largest democracy!
Wherever I go, I realise
that the term justice is a hoax.

Sadly, whenever I seek justice,
I look up to the national media, and find--
It is filled with pets,
Who know nothing but denigration
covering diet charts of celebrities,
rather than talking about a state,
ravaged with The most severe cyclone in a decade--
I see them accepting facts,
rather than condemning transfers
of the ones who are responsible for verdicts,
just in order to continue their circus!

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30 SEP 2020 AT 21:50

जात-पात की गंदगी कहीं, कहीं मज़हब की दीवार है
एक बेटी को कवच से नवाजा दूसरी का बलात्कार है।

बेटी दिवस मनाने वालों के मुँह पर ताले लग चुके हैं
लड़की की इज्जत से खेलते हुकूमत के ठेकेदार है।

मीडिया की दूकान पर लाचारी ग़रीबी बिकती नहीं है
इंसान की इंसानियत से खेलते ये तोते कहाँ शर्मसार हैं।

देख तेरे राज में राम एक अबला पर फ़िर हमला हुआ
कुछ कर दिखाएगा क्या तेरे राज में बस अत्याचार है।

औरत की इबादत में क़सीदे पढ़ने वालों के ही देश में
औरत ख़ुद अपने जने हुए दरिंदों के हाथ में शिकार है।

रहनुमाओं ने आंख पर पट्टी बाँध ली है अब तो 'नील'
इंसाफ का तराजू रसूखदार के लिए झुकता हर बार है।

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12 SEP 2020 AT 13:00

कहीं तो उसकी किताब में लिखा होगा,
यहाँ कौन-कौन कितने में बिका होगा।।

वहाँ जाकर हिसाब क्या दोगे??
बिका हुआ ज़मीर वापस कितने में लोगे।।

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