धड़कने मेरी बेकाबू हो जाती है,
तेरी गर्म सांसों की बोछरो से.
मेरे होंठो को होंठो से लगाना तेरा,
हमे और भी प्यासा कर जाता है.
कमर तेरी हाए.. लहराती नागिन सी हिलती है,
नाभि हो जैसे कोई छोटा अमृत का प्याला.
गाल तेरे गुलाबी खाने का जी चाहता है,
गर्दन तक आते-आते दिल मेरा बहक जाता है.
जिस्म तरासा हुआ तेरा अफसरा सा,
यौवन चडा़ ऐसा एक झलक देखे तो पगला जाता है.
गले लगा कर तुझमें सिमटने को जी चाहता है,
सीने को होंठो से कर पी जाने का दिल चाहता है.
में लफ्जो में पूरा बयां तो नहीं कर सकता तुझे,
पर जिसे तू चाहे उसे जन्नत यही मिल जाए.
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