एक अरसा हो गया यारा, तेरी याद आती है,
कमरे के सन्नाटे में भी तेरी आवाज़ आती है,
पुरानी यादों की बरसात लाकर सारी रात,
फिर ये आंखों को आंसुओं में डूबा जाती है।
ढूंढता हूं तुम्हें बैठे हुए, चारो दिशाओं में,
पूछता हूं तेरा हाल, दक्षिण की हवाओं से,
मगर ये हवा कुछ कहे बिना गुजर जाती है,
एक अरसा हो गया यारा, तेरी याद आती है।
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