मोहब्बत मेरी उनके अफ़सोस की वजह बन गई,
फासले दर्मियां आते ही दिलों की दूरियाँ बढ़ गई,
समझाने तो चली थी पर खामोशी रास्ता रोक गई,
ना वो समझ पाए मुझे ना मैं ही उनको समझा पाई,
बेवजह नराज़गी ने भी बखुबी दूरियाँ बढ़ाई,
थोड़े से ही सही पर कभी मेरे भी हुए थे जो,
कब अजनबी बन गए मैं ये भी ना जान पाई,
खैर किस्मत ने भी मेरी बखुबी अपनी भुमिका निभाई ,
छिनकर हर एक सक्स को जिसने मुझसे प्यार जताई,
जितना किस्मत में होगा उतना ही मिलता है ये बात याद दिलाई...!
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