'प्रेम-चुनरिया'
मेरे दिल की सरजमीं पर
बस प्रेम के ही गुल खिलते हैं।
प्रेम के इंद्रधनुषी रंगों में
होकर सराबोर हिलते हैं।
जब कभी आहट होती है
तेरे आगमन की,
सारे के सारे ही गुल
हर्षित हो गले मिलते हैं।
प्रेम-पियाला पीकर
मस्त रहते हैं जो,
वो इन गुलों में घूम
अपनी खुशियाँ तसीलते हैं।
समेट सारे ख़्वाबों को,
प्रेमी जोड़े यहाँ पर,
अपने अमर अमिट प्रेम की
नई 'प्रेम-चुनरिया' सिलते हैं।
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