Sarika Saxena 19 AUG 2017 AT 9:39 कभी हँसाती है तो कभी पलकें भिगो देती है।ज़िंदगी रंग भरी एक ख़ूबसूरत पहेली है। मौत का कभी कोई रंग देखा है क्या? - Sarika Saxena 21 NOV 2017 AT 7:52 बिखरे पड़े अक्षरों को गूँध लेती हूँ अनकहे शब्दों में उतार देती हूँ अपना ही अक्स अपनी कविताओं में तुम्हें शब्दों में बुनना अब मुश्किल है पहले की तरह। - Sarika Saxena 12 AUG 2017 AT 10:33 तारे कुछ तोड़े थे कल रात फ़लक से,दिन आज का तो रौशन हो गया उनसे। कल के अंधेरों से फिर कल निबटना होगा। - Sarika Saxena 20 JUL 2017 AT 22:59 उम्र का तक़ाज़ा है कि लोग बड़े अदब से मिलते हैं,चंद चाँदी के तार भी बालों में ख़ूब फबते हैं। मन का क्या है, वो तो हर उम्र से वाबस्ता है। - Sarika Saxena 2 MAY 2017 AT 22:01 दर्द सब बेच देता है दिल को मुस्कान होंठों पे सज़ा देता है;आइना भी क्या ख़ूब तिज़ारत किया करता है। - Sarika Saxena 19 MAY 2017 AT 18:40 छांव में चल रहे थे ये सोंचकरकि तपन से बच जायेंगे धूप की,छांव ही जब जला दे तो फिर क्या कीजे? - Sarika Saxena 7 MAY 2017 AT 10:46 चंद खोटे सिक्के बचे हैं जेब में,नुमाया हो रहे हैं पैबंद कपड़ों पर;क्या हुआ लेकिन अल्फ़ाज़ से अमीर हूँ। - Sarika Saxena 7 MAY 2017 AT 5:22 साज़ो सामान बाँध के इंसान चलता है हर जगह क्या ले जायेगा अपने साथ 'उस' आख़िरी सफ़र पे,रूह का हंस तो अकेला ही सफ़र करता है। - Sarika Saxena 21 MAY 2017 AT 21:27 कुछ अधूरा सा महसूस हो रहा है न जाने क्योंजैसे कुछ करना था ज़रूरी पर किया न हो;याद आया, आज सुबह से कुछ लिखा जो नहीं। - Sarika Saxena 13 JUL 2017 AT 22:00 ज़िंदगी लगती है कभी रूठी सहेली सी मुझे,मुँह फुला के अक्सर बस अड़ के बैठ जाती है। एक झप्पी देके मनाओ उसे तो फिर मुस्कुरा उठती है। -