गेसुओं में मेरे तेरे प्यार का संदल महकता है।
मैं हवाओं सी एक लड़की हूँ, मुझसे जंगल महकता है।
चाँदनी की मेरी पैरहन, किरणों के मेरे गहने
भरा फूलों से जो तूने, मेरा आँचल लहकता है।
भर दिया सितारों से, तूने मेरी माँग में अफशां
तेरे लम्स की हिद्दत से, ये कोरा बदन दहकता है।
मैं राधा भी, मैं मीरा भी, और तेरी रुक्मिनी भी हूँ
तेरे हर रूप में लेकिन, तू बस कान्हा ही रहता है।
-सारिका
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